bhoot ki kahani Can Be Fun For Anyone
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Bhoot ki kahani
सच सच बताना कि उस घर में कभी तुमने किसी के चलने या फिर पायल बजने की आवाज सुनी थी । तब तो हमें पक्का यकीन हो गया । कि उस घर में कुछ तो था । और मैंने फिर से अपने परिवार को बताया । तब उन लोगों ने हमारी बातों पर यकीन लिया।
मैंने मन ही मन में अपने रब का शुक्रिया किया जिस से मेरी उस भटकती आत्मा से कोई नुकसान नहीं हुआ , शायद ये मेरे अच्छे परिणामो का फल था ।
और वह नाश्ता मंगा कर खाने लगे .और उनको याद आया कि मेरे पास नींबू मिठाई भी रखी हुई है। तो उन्होंने उसे भी खा लिया .
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उस घटना के बाद आज भी उसकी आत्मा भटकती है और राह मैं आने जाने वाले राहगीरों को परेशान करती हैं और कई बार तो उनका एक्सीडेंट भी करा देती है ।
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रमेश ने उस आदमी को बुलाने की कोशिश की तो वह भागने लगा। रमेश भी उसके पीछे भागने लगा और वह आदमी अचानक से पटरी की तरफ भागने लगा और गायब हो गया। रमेश अपना बैलेंस नहीं बना पाया और पृथ्वी पर गिर गया। उसने ट्रेन की आवाज सुनी और घबरा गया।
अंत में हार कर पमिनबहन और उनके परिवार ने घर छोड़ के वहाँ से चले जाने का फैसला कर लिया।
"ये दुनिया बहुत खूबसूरत है , लेकिन तब तक जब तक की आपको मजे दे रही है वरना जब लेने पे आती है तो फिर इस से बुरी कुछ नही।" ये हर बुरा समय आने से पहले आपको महसूस कराती,जो समझा, खुद को बदल लिया और जिसने ...
बस इन सबका एक ही इलाज है कि जब भी तुम्हारा ध्यान अपनी तरफ खींचने की कोशिश करें तो तुम्हें इन पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देना है और छलावे से बातें तो बिल्कुल भी नहीं करनी है। रमेश प्रसाद की बात ध्यान से सुनता रहा। फिर थोड़ी देर बाद उठकर प्लैटफॉर्म पर जाने लगा। उसने देखा कि सामने से एक आदमी आ रहा है। वह आदमी और कोई नहीं प्रसाद था। रमेश को समझ नहीं आया कि प्रसाद तो उसके साथ कमरे में था। फिर ये कौन है?
कि जैसे कोई मेरे पास चला आ रहा हो । मैंने देखा तो कोई ना दिखा तो मेरे पैर थर थर कांपने लगे. और मेरे होश उड़ गए यह कैसी आवाज है। तभी पायल की आवाज बंद हो गई .
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और वह मस्ती के मूड में साइकिल से नीचे उतरे और हल्दी से बने हुए घेरे के अंदर से नींबू लाल कपड़ा और मिठाई भी उठा ली । और साइकिल पर बैठकर हंसते हुए बैंक की ओर चले गए। वहां पहुंचकर काम करने में व्यस्त हो गए तभी उन्हें भूख लगी।
बहुत जोर की बारिश हो रही थी, मैं अपने मित्र के यहां ताश के पत्ते खेलने के लिए आया हुआ था. गांव में अक्सर लोग […]